4. आउटपुट उपकरण ( OUTPUT DEVICES )

आउटपुट उपकरण ( OUTPUT DEVICES ) 

कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग पूरी होने पर प्राप्त परिणामों को आउटपुट कहते हैं । परिणामों को जिन आउटपुट उपकरणों की मदद से प्रदर्शित किया जाता है उन्हें आउटपुट उपकरण ( Output Device ) कहते हैं ।

कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम दो प्रकार के होते हैं 

1. सॉफ्ट कॉपी आउटपुट ( Soft Copy Output )
2. हार्ड कॉपी आउटपुट ( Hard Copy Output ) 

( 1 ) सॉफ्ट कॉपी आउटपुट ( Soft Copy Output )

प्रोसेसिंग ( Processing ) के पश्चात् प्राप्त परिणाम स्क्रीन पर प्रदर्शित हो या आवाज के रूप में प्राप्त किए जाए तो यह सॉफ्ट कॉपी कहलाती है । 

जैसे : मॉनिटर, स्पीकर, प्रोजेक्टर ।

( 2 ) हार्ड कॉपी आउटपुट ( Hard Copy Output ) 

जब परिणामों को प्रिन्टर या प्लॉटर द्वारा प्रिन्ट किया जाता है तो यह हार्डकॉपी कहलाती है । हार्डकॉपी परिणामों की स्थायी कॉपी होती है एवं इसे बिना कम्प्यूटर की सहायता से पढ़ा जा सकता है । 

जैसे : प्रिन्टर, प्रोजेक्टर ।

कुछ आउटपुट डिवाइस निम्नलिखित हैं

1. मॉनिटर ( Monitor )

2 .प्रिन्टर ( Printer ) 

3. स्पीकर ( Speaker )

4 .प्लॉटर ( Plotter )  

5. प्रोजेक्टर ( Projector )

1. मॉनिटर ( Monitor ) : 

यह एक आउटपुट डिवाइस है जो चित्र या प्रोसेस इनपुट के रिजल्ट को स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है । यह कम्प्यूटर तथा यूजर के बीच संबंध स्थापित करता मॉनिटर की गुणवत्ता की पहचान डॉट पिच , रिजाल्यूशन और रिफ्रेश रेट से किया जाता है । कम्प्यूटर की समस्त सूचनाएँ देखने के लिए इस डिवाइस का प्रयोग किया जाता है । इसे VDU ( Visual Display Unit ) भी कहते हैं । इसके डिस्प्ले आकार को डायगोनली मापा जाता है। मॉनीटर का रिजोल्यूसन जितना अधिक हो पिक्सल उतने ही अधिक होंगे । 


मुख्यतः दो प्रकार के मॉनिटर आजकल प्रचलन में है ।

( a ) सी आर टी मॉनिटर ( CRT - Cathod Ray Tube ) :

 यह मॉनिटर उसी सिद्धान्त पर कार्य करता है , जिन पर टीवी करता है । इसमें एक कैथोड रे ट्यूब रहता है जिसमें इलेक्ट्रॉन गन लगा होता है । जिसके द्वारा प्राप्त इलेक्ट्रॉन बीम को परावर्तित कर चित्र बनाया जाता है अर्थात् स्क्रीन पर डिस्प्ले प्राप्त होता है । सी आर टी स्क्रीन थोड़ी मुड़ी होती है । मॉनीटर पर चित्र छोटे - छोटे बिन्दुओं से मिलकर बनता है जिने पिक्सेल कहते हैं । स्क्रीन के प्रति इकाई क्षेत्रफल में उपस्थित बिंदुओं की संख्या मॉनीटर की रिजॉल्यूशन कहलाती हैं ।


( b ) टी एफ टी मॉनिटर ( TFT - Thin-Film Transistor) : 

यह एक सीधा ( Flat ) स्क्रीन होता है जो हल्का तथा पतला होता है तथा कम जगह घेरता है । यह सी . आर . टी मॉनिटर से अपेक्षाकृत महंगा होता है ।


2. प्रिन्टर ( Printer ) : 

प्रिन्टर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है जिसके द्वारा प्रिन्टेड कॉपी या हार्ड कॉपी कागज पर प्राप्त होता है । इसका उपयोग स्थायी दस्तावेज तैयार करने के लिए होता है ।


तकनीक के आधार पर प्रिन्टर दो प्रकार के होते हैं - 

( a ) इम्पैक्ट प्रिन्टर ( Impact Printer )

( b ) नॉन - इम्पैक्ट प्रिन्टर ( Non - Impact Printer )

( a ) इम्पैक्ट प्रिन्टर ( Impact Printer ) :

यह कागज , रिबन तथा कैरेक्टर तीनों पर एक - साथ चोट कर डेटा प्रिन्ट करता है ।

इम्पैक्ट प्रिन्टर निम्न प्रकार के होते हैं ।

 ( i ) डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर ( Dot Matrix Printer ) : 

यह एक कैरेक्टर प्रिन्टर है । जिसमें एक प्रिन्ट हेड होता है जो आगे - पीछे तथा ऊपर - नीचे घूमता है । यह स्याही लगे रिबन पर चोट कर प्रिन्ट करता है । यह 80 कॉलम तथा 132 कॉलम दो तरह की क्षमताओं में आता है । इसमें प्रिन्टिंग खर्च बाकी प्रिन्टरों की अपेक्षा कम आता है लेकिन प्रिन्ट की गुणवत्ता और स्पीड दूसरे प्रिन्टर के मुकाबले कम होती है । इसमें एक बार में केवल एक रंग का प्रिन्ट लिया जा सकता है इसलिए इसे मोनो प्रिन्टर भी कहते हैं । इसकी क्षमता को डी पी आई ( Dots Per Inch ) में मापा जाता है ।


( ii ) डेजी व्हील प्रिन्टर ( Daisy wheel Printer ) :

यह भी कम्प्यूटर प्रिन्टर है जिसमें प्रिन्ट हेड की जगह डेजी व्हील लगा होता है जो प्लास्टिक या धातु का बना होता है । व्हील के बाहरी छोर पर अक्षर बना होता है । एक अक्षर को प्रिन्ट करने के लिए डिस्क को घूमाना पड़ता है , जब तक पेपर तथा अक्षर सामने न आ जाये । तब हैमर व्हील पर चोट करता है तथा अक्षर रिबन को चोटकर कागज पर एक अक्षर प्रिन्ट करता है । इससे ग्राफ या चित्र प्रिन्ट नहीं किया जा सकता है । यह शोर करने वाला तथा धीमी छपाई करता है ।



3. ड्रम प्रिन्टर ( Drum Printer ) :

ड्रम प्रिन्टर में बेलनाकार आकृति का ड्रम होता है , जिस पर छापे जाने वाले अक्षर अलग - अलग बैण्ड ( Bands ) पर उभरे हुए रहते हैं । यह ड्रम तीव्र गति से घूमता है व इसके बैण्ड भी अलग - अलग घूमने के लिए मुक्त होते हैं । प्रत्येक बैण्ड पर अक्षरों का एक पूर्ण सेट उभरा रहता है । ड्रम के घूमने पर जब निश्चित अक्षर प्रिंट स्थिति से गुजरते हैं तो धातु के छोटे हथौड़ो द्वारा कागज पर चोट की जाती है , कागज स्याही के रिबन से टकराता है व अक्षर छप जाता है । ये लाइन प्रिन्टर होते हैं तथा एक समय में पूर्ण लाइन छाप सकते हैं ।


 4. चैन प्रिन्टर ( Chain Printer ) :

इन प्रिन्टर्स में तेज गति से घूमने वाली चेन लगी होती है जिसे प्रिन्ट चैन कहते हैं । चेन के प्रत्येक जोड़ पर एक अक्षर उभरा रहता है । प्रत्येक प्रिन्ट वाले स्थान पर छोटे - छोटे हथौड़े लगे होते हैं , जिस कागज को प्रिन्ट करना होता है उसे हथौड़े व रिबन के बीच में रखा जाता है । यह प्रिन्टर सी.पी.यू. से सूचनाओं की पूरी एक लाइन पढ़ता है और छपाई के लिए भेज देता है । जब चेन घूमती है तो अक्षर प्रिन्ट स्थान के सामने आता है तो उस स्थान पर कागज पर हथाडे की चोट से अक्षर छप जाता है । जब पूरी लाइन छप जाती है तो कागज का रोल एक लाइन ऊपर घूम जाता है , और प्रिन्टर सी.पी.यू. से अगली लाइन पढ़ता है व छापता है । ये प्रिन्टर भी एक समय में एक लाइन प्रिन्ट करते हैं । 


5. बैण्ड प्रिन्टर ( Band Printer )

यह प्रिन्टर चेन प्रिन्टर के समान होते हैं । इन प्रिन्टरों में चेन के स्थान पर स्टील का पट्टा ( Band ) प्रयोग में लिया जाता है , इस पट्टे पर अक्षर उभरे रहते हैं एवं इसकी छपाई प्रक्रिया चेन प्रिन्टर के समान ही होती है । ये भी लाइन प्रिन्टर होते हैं । 


( b ) नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर ( Non Impact Printer ) :

यह ध्वनि मुक्त प्रिन्टर है क्योंकि इसमें प्रिन्टिंग हेड कागज पर चोट नहीं करता है । 

नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर निम्न प्रकार के होते हैं-

( i ) इंकजेट प्रिन्टर ( Inkjet Printer ) : 

यह नॉन इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिन्टर है । यह इंकजेट तकनीक पर कार्य करता है । यह दो तरह के होते हैं मोनो और रंगीन । इसमें स्याही के लिए कार्टरिज ( cartridge ) लगाया जाता है । स्याही को जेट की सहायता से छिड़ककर कैरेक्टर तथा चित्र प्राप्त होता है । इसकी गुणवत्ता तथा स्पीड दोनों कम होती है , तथा इसमें प्रिन्टिंग खर्च भी ज्यादा आता है । 



( ii ) लेजर प्रिन्टर ( Laser Printer ) : 

यह तीव्र गति का पेज प्रिन्टर है । इसमें लेजर बीम की सहायता से ड्रम पर आकृति बनाता है । लेजर ( बीम ) ड्रम पर डालने के फलस्वरूप विद्युत चार्ज हो जाता है । तब ड्रम को टोनर में लुढ़काया जाता है , जिससे टोनर ड्रम के चार्ज भागों पर लग जाता है । इसे ताप तथा दवाब के संयोजन से कागज़ पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है जिससे प्रिन्ट प्राप्त होता है । यह थर्मल तकनीक पर काम करता है । यह दो तरह के होते हैं - मोनो और रंगीन । इसकी गुणवता और स्पीड दोनों बाकी प्रिन्टरों की तुलना में काफी से बेहतर होती है । 



( iii ) थर्मल प्रिन्टर ( Thermal Printer ) : 

इसमें थर्मोक्रोमिक ( Thermochromic ) कागज का उपयोग किया जाता है । जब कागज थरमल प्रिन्ट हेड से गुजरता है तो कागज के ऊपर स्थित लेप ( coating ) उस जगह काला हो जाता है जहाँ यह गर्म होता है तथा प्रिन्ट प्राप्त होता है । यह डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर की तुलना में तीव्र तथा ध्वनिरहित होता है । इसमें प्रिन्ट की गुणवत्ता अच्छी होती है ।


गति के आधार पर प्रिन्टर तीन प्रकार के होते हैं - 

( a ) कैरेक्टर प्रिन्टर ( Character Printer )

( b ) लाइन प्रिन्टर ( Line Printer )

( c ) पेज प्रिन्टर ( Page Printer )

( a ) कैरेक्टर प्रिन्टर ( Character Printer ) :

यह एक बार में एक कैरेक्टर प्रिन्ट करता है । इसे सीरियल प्रिन्टर भी कहते हैं । कैरेक्टर प्रिन्टर 200-450 कैरेक्टर / सेकेन्ड प्रिन्ट करता है ।इनकी गति CPS ( Character Per Second ) में मापी जाती है ।

इस प्रकार के प्रिंटर निम्न है -

  • डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर ( Dot Matrix Printer )
  • डेजी व्हील प्रिन्टर ( Daisy wheel Printer )
  • इंकजेट प्रिन्टर ( Inkjet Printer )

( b ) लाइन प्रिन्टर ( Line Printer ) : 

यह एक बार में एक लाइन प्रिन्ट करता है । यह तीव्र गति से कार्य करता है । लाइन प्रिन्टर 200-2000 कैरेक्टर / मिनट प्रिन्ट करता है । इनकी गति LPM ( Line Per Minute ) में मापी जाती है ।

इस प्रकार के प्रिंटर निम्न है -

  • बैंड प्रिंटर ( Band Printer )
  • चैन प्रिंटर  ( Chain Printer )
  • ड्रम प्रिंटर  ( Drum Printer )

( c ) पेज प्रिन्टर ( Page Printer ) : 

यह एक बार में पूरा पेज प्रिन्ट करता है । यह विशाल डेटा का प्रिन्ट लेने में सक्षम होता है । इसमें इलेक्ट्रोग्राफिक्स तकनीक का प्रयोग किया जाता है । इसका उदाहरण इलेक्ट्रॉनिक जेरॉक्स मशीन है

इस प्रकार के प्रिंटर महंगे होते हैं इसकी  प्रिंटिंग उच्च कोटि की होती हैं जैसे - लेजर प्रिंटर 

3. स्पीकर ( Speaker ) : 

यह भी एक आउटपुट डिवाइस है जो अक्सर मनोरंजन के लिए उपयोग में आता है । यह ध्वनि के रूप में आउटपुट देता है । इसके लिए सी पी यू ( CPU ) में साउन्ड कार्ड का होना आवश्यक है । इसका उपयोग प्रायः संगीत या किसी तरह की ध्वनि सुनने में होता है । 


4. प्लॉटर ( Plotter ) :

यह एक भी आउटपुट डिवाइस है , जिसका उपयोग ग्राफ प्राप्त करने के लिए होता है । मुख्यतः इसका उपयोग इंजीनियर , चिकित्सक , वास्तुविद आदि करते हैं । यह ग्राफ तथा रेखाचित्र जैसे आउटपुट प्रदान करता है ।


5. प्रोजेक्टर ( Projector ) : 

यह एक भी आउटपुट डिवाइस  है जो बड़े सतह या पर्दे पर चित्रों को दिखाता है । सामान्यतः इसका उपयोग प्रस्तुतियों और बैठकों में किया जाता है , जो एक बड़ी छवि के रूप में दिखाया जाता है जिसे बड़े हॉल में बैठे हर कोई देख सके ।

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