आउटपुट उपकरण ( OUTPUT DEVICES )
कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग पूरी होने पर प्राप्त परिणामों को आउटपुट कहते हैं । परिणामों को जिन आउटपुट उपकरणों की मदद से प्रदर्शित किया जाता है उन्हें आउटपुट उपकरण ( Output Device ) कहते हैं ।
कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम दो प्रकार के होते हैं
1. सॉफ्ट कॉपी आउटपुट ( Soft Copy Output )
2. हार्ड कॉपी आउटपुट ( Hard Copy Output )
( 1 ) सॉफ्ट कॉपी आउटपुट ( Soft Copy Output )
प्रोसेसिंग ( Processing ) के पश्चात् प्राप्त परिणाम स्क्रीन पर प्रदर्शित हो या आवाज के रूप में प्राप्त किए जाए तो यह सॉफ्ट कॉपी कहलाती है ।
जैसे : मॉनिटर, स्पीकर, प्रोजेक्टर ।
( 2 ) हार्ड कॉपी आउटपुट ( Hard Copy Output )
जब परिणामों को प्रिन्टर या प्लॉटर द्वारा प्रिन्ट किया जाता है तो यह हार्डकॉपी कहलाती है । हार्डकॉपी परिणामों की स्थायी कॉपी होती है एवं इसे बिना कम्प्यूटर की सहायता से पढ़ा जा सकता है ।
जैसे : प्रिन्टर, प्रोजेक्टर ।
कुछ आउटपुट डिवाइस निम्नलिखित हैं
1. मॉनिटर ( Monitor )
2 .प्रिन्टर ( Printer )
3. स्पीकर ( Speaker )
4 .प्लॉटर ( Plotter )
5. प्रोजेक्टर ( Projector )
1. मॉनिटर ( Monitor ) :
यह एक आउटपुट डिवाइस है जो चित्र या प्रोसेस इनपुट के रिजल्ट को स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है । यह कम्प्यूटर तथा यूजर के बीच संबंध स्थापित करता मॉनिटर की गुणवत्ता की पहचान डॉट पिच , रिजाल्यूशन और रिफ्रेश रेट से किया जाता है । कम्प्यूटर की समस्त सूचनाएँ देखने के लिए इस डिवाइस का प्रयोग किया जाता है । इसे VDU ( Visual Display Unit ) भी कहते हैं । इसके डिस्प्ले आकार को डायगोनली मापा जाता है। मॉनीटर का रिजोल्यूसन जितना अधिक हो पिक्सल उतने ही अधिक होंगे ।
मुख्यतः दो प्रकार के मॉनिटर आजकल प्रचलन में है ।
( a ) सी आर टी मॉनिटर ( CRT - Cathod Ray Tube ) :
यह मॉनिटर उसी सिद्धान्त पर कार्य करता है , जिन पर टीवी करता है । इसमें एक कैथोड रे ट्यूब रहता है जिसमें इलेक्ट्रॉन गन लगा होता है । जिसके द्वारा प्राप्त इलेक्ट्रॉन बीम को परावर्तित कर चित्र बनाया जाता है अर्थात् स्क्रीन पर डिस्प्ले प्राप्त होता है । सी आर टी स्क्रीन थोड़ी मुड़ी होती है । मॉनीटर पर चित्र छोटे - छोटे बिन्दुओं से मिलकर बनता है जिने पिक्सेल कहते हैं । स्क्रीन के प्रति इकाई क्षेत्रफल में उपस्थित बिंदुओं की संख्या मॉनीटर की रिजॉल्यूशन कहलाती हैं ।
( b ) टी एफ टी मॉनिटर ( TFT - Thin-Film Transistor) :
यह एक सीधा ( Flat ) स्क्रीन होता है जो हल्का तथा पतला होता है तथा कम जगह घेरता है । यह सी . आर . टी मॉनिटर से अपेक्षाकृत महंगा होता है ।
प्रिन्टर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है जिसके द्वारा प्रिन्टेड कॉपी या हार्ड कॉपी कागज पर प्राप्त होता है । इसका उपयोग स्थायी दस्तावेज तैयार करने के लिए होता है ।
तकनीक के आधार पर प्रिन्टर दो प्रकार के होते हैं -
( a ) इम्पैक्ट प्रिन्टर ( Impact Printer )
( b ) नॉन - इम्पैक्ट प्रिन्टर ( Non - Impact Printer )
( a ) इम्पैक्ट प्रिन्टर ( Impact Printer ) :
यह कागज , रिबन तथा कैरेक्टर तीनों पर एक - साथ चोट कर डेटा प्रिन्ट करता है ।
इम्पैक्ट प्रिन्टर निम्न प्रकार के होते हैं ।
( i ) डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर ( Dot Matrix Printer ) :
यह एक कैरेक्टर प्रिन्टर है । जिसमें एक प्रिन्ट हेड होता है जो आगे - पीछे तथा ऊपर - नीचे घूमता है । यह स्याही लगे रिबन पर चोट कर प्रिन्ट करता है । यह 80 कॉलम तथा 132 कॉलम दो तरह की क्षमताओं में आता है । इसमें प्रिन्टिंग खर्च बाकी प्रिन्टरों की अपेक्षा कम आता है लेकिन प्रिन्ट की गुणवत्ता और स्पीड दूसरे प्रिन्टर के मुकाबले कम होती है । इसमें एक बार में केवल एक रंग का प्रिन्ट लिया जा सकता है इसलिए इसे मोनो प्रिन्टर भी कहते हैं । इसकी क्षमता को डी पी आई ( Dots Per Inch ) में मापा जाता है ।
( ii ) डेजी व्हील प्रिन्टर ( Daisy wheel Printer ) :
यह भी कम्प्यूटर प्रिन्टर है जिसमें प्रिन्ट हेड की जगह डेजी व्हील लगा होता है जो प्लास्टिक या धातु का बना होता है । व्हील के बाहरी छोर पर अक्षर बना होता है । एक अक्षर को प्रिन्ट करने के लिए डिस्क को घूमाना पड़ता है , जब तक पेपर तथा अक्षर सामने न आ जाये । तब हैमर व्हील पर चोट करता है तथा अक्षर रिबन को चोटकर कागज पर एक अक्षर प्रिन्ट करता है । इससे ग्राफ या चित्र प्रिन्ट नहीं किया जा सकता है । यह शोर करने वाला तथा धीमी छपाई करता है ।
यह ध्वनि मुक्त प्रिन्टर है क्योंकि इसमें प्रिन्टिंग हेड कागज पर चोट नहीं करता है ।
नॉन इम्पैक्ट प्रिन्टर निम्न प्रकार के होते हैं-
( i ) इंकजेट प्रिन्टर ( Inkjet Printer ) :
यह नॉन इम्पैक्ट कैरेक्टर प्रिन्टर है । यह इंकजेट तकनीक पर कार्य करता है । यह दो तरह के होते हैं मोनो और रंगीन । इसमें स्याही के लिए कार्टरिज ( cartridge ) लगाया जाता है । स्याही को जेट की सहायता से छिड़ककर कैरेक्टर तथा चित्र प्राप्त होता है । इसकी गुणवत्ता तथा स्पीड दोनों कम होती है , तथा इसमें प्रिन्टिंग खर्च भी ज्यादा आता है ।
( ii ) लेजर प्रिन्टर ( Laser Printer ) :
यह तीव्र गति का पेज प्रिन्टर है । इसमें लेजर बीम की सहायता से ड्रम पर आकृति बनाता है । लेजर ( बीम ) ड्रम पर डालने के फलस्वरूप विद्युत चार्ज हो जाता है । तब ड्रम को टोनर में लुढ़काया जाता है , जिससे टोनर ड्रम के चार्ज भागों पर लग जाता है । इसे ताप तथा दवाब के संयोजन से कागज़ पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है जिससे प्रिन्ट प्राप्त होता है । यह थर्मल तकनीक पर काम करता है । यह दो तरह के होते हैं - मोनो और रंगीन । इसकी गुणवता और स्पीड दोनों बाकी प्रिन्टरों की तुलना में काफी से बेहतर होती है ।
( iii ) थर्मल प्रिन्टर ( Thermal Printer ) :
इसमें थर्मोक्रोमिक ( Thermochromic ) कागज का उपयोग किया जाता है । जब कागज थरमल प्रिन्ट हेड से गुजरता है तो कागज के ऊपर स्थित लेप ( coating ) उस जगह काला हो जाता है जहाँ यह गर्म होता है तथा प्रिन्ट प्राप्त होता है । यह डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर की तुलना में तीव्र तथा ध्वनिरहित होता है । इसमें प्रिन्ट की गुणवत्ता अच्छी होती है ।
गति के आधार पर प्रिन्टर तीन प्रकार के होते हैं -
( a ) कैरेक्टर प्रिन्टर ( Character Printer )
( b ) लाइन प्रिन्टर ( Line Printer )
( c ) पेज प्रिन्टर ( Page Printer )
( a ) कैरेक्टर प्रिन्टर ( Character Printer ) :
यह एक बार में एक कैरेक्टर प्रिन्ट करता है । इसे सीरियल प्रिन्टर भी कहते हैं । कैरेक्टर प्रिन्टर 200-450 कैरेक्टर / सेकेन्ड प्रिन्ट करता है ।इनकी गति CPS ( Character Per Second ) में मापी जाती है ।
इस प्रकार के प्रिंटर निम्न है -
- डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर ( Dot Matrix Printer )
- डेजी व्हील प्रिन्टर ( Daisy wheel Printer )
- इंकजेट प्रिन्टर ( Inkjet Printer )
( b ) लाइन प्रिन्टर ( Line Printer ) :
यह एक बार में एक लाइन प्रिन्ट करता है । यह तीव्र गति से कार्य करता है । लाइन प्रिन्टर 200-2000 कैरेक्टर / मिनट प्रिन्ट करता है । इनकी गति LPM ( Line Per Minute ) में मापी जाती है ।
इस प्रकार के प्रिंटर निम्न है -
- बैंड प्रिंटर ( Band Printer )
- चैन प्रिंटर ( Chain Printer )
- ड्रम प्रिंटर ( Drum Printer )
( c ) पेज प्रिन्टर ( Page Printer ) :
यह एक बार में पूरा पेज प्रिन्ट करता है । यह विशाल डेटा का प्रिन्ट लेने में सक्षम होता है । इसमें इलेक्ट्रोग्राफिक्स तकनीक का प्रयोग किया जाता है । इसका उदाहरण इलेक्ट्रॉनिक जेरॉक्स मशीन है
इस प्रकार के प्रिंटर महंगे होते हैं इसकी प्रिंटिंग उच्च कोटि की होती हैं जैसे - लेजर प्रिंटर
3. स्पीकर ( Speaker ) :
यह भी एक आउटपुट डिवाइस है जो अक्सर मनोरंजन के लिए उपयोग में आता है । यह ध्वनि के रूप में आउटपुट देता है । इसके लिए सी पी यू ( CPU ) में साउन्ड कार्ड का होना आवश्यक है । इसका उपयोग प्रायः संगीत या किसी तरह की ध्वनि सुनने में होता है ।
4. प्लॉटर ( Plotter ) :
यह एक भी आउटपुट डिवाइस है , जिसका उपयोग ग्राफ प्राप्त करने के लिए होता है । मुख्यतः इसका उपयोग इंजीनियर , चिकित्सक , वास्तुविद आदि करते हैं । यह ग्राफ तथा रेखाचित्र जैसे आउटपुट प्रदान करता है ।
5. प्रोजेक्टर ( Projector ) :
यह एक भी आउटपुट डिवाइस है जो बड़े सतह या पर्दे पर चित्रों को दिखाता है । सामान्यतः इसका उपयोग प्रस्तुतियों और बैठकों में किया जाता है , जो एक बड़ी छवि के रूप में दिखाया जाता है जिसे बड़े हॉल में बैठे हर कोई देख सके ।